
मेरी भी आँखों में एक ख़वाब पल रहा है ,
सितारों से कल रात ज़ंग हो गयी मेरी ,
ज़हन में हज़ार सवाल उठ रहे है ,
बीते हुए ज़ख्मों का हिसाब चल रहा है ,
छू लूँ जो तुझे तो रोशन चिराग बन जाऊँ,
तमाम ज़िन्दगी तुझ पर निसार कर दूँ और फ़ना हो जाऊँ ,
जाग रहा हूँ कई सदियों से अब नींद आने को है ,
इस बहरी दुनिया में शायद अपनी आवाज़ भी खो रहा हूँ ,
सवालो के शहर में जवाब का सामान बन रहा है ,
मेरी भी आँखों में एक ख्वाब पल रहा है |
अनसुनी सी चीखें मेरे जिगर के पार हो रही है ,
ज़ंग और मुफलिसी में मौत का कारोबार हो रहा है ,
दिमाग खुला रखो सब बहुत समझदार है यहाँ ,
तुम्हारी ज़िन्दगी का ये कैसा व्यापार हो रहा है ,
हिम्मत से सामना करो इसका अब बेखौफ लाचार हो गया है ,
दे दो भिकारी को भीख के वो अब भगवान हो रहा है ,
सच्चाई की मुठ्ठी में विश्वास दम तोड़ रहा है ,
कैसा है ये सिलसिला जो आँखों पे भारी है ,
सपनो की राह में आज रावन ही मदारी है ,
राम को ढूंढें कहाँ हर ओर सवाली है ,
जीने का सबब हमको हलाल कर रहा है ,
मेरी भी आँखों में एक ख्वाब पल रहा है |
-बेखौफ